AC-Ante Crist
*एसी आदिवासी भारत सरकार*आजकल एक A/C भारत सरकार
की बहोत धुम मची हैं.........क्या है यह a/c सरकार?.....कहा
जाता हैं कि,इस सरकार १८७० से १९६९ तक भारत की जमीन
लीज पर दी थी....और यह भी कहते हैं कि,भारत का संविधान
"आऊट डेटेड"हुआ हैं।.....क्या यह सच हैं?......अगर यह a/c भारत
सरकार इतनी अमीर थी तो १०० साल का हिसाब देना चाहिए,
लीज का पैसा कोष में कितना जमा हुआ और उस धन का व्यय
कहा कियागया?इसका हिसाब देना चाहिए....दुसरी बात अगर
a/c सरकार इतनी अमीर थी तो आदिवासियों के लिए क्या
किया?.....आखिर आदिवासियों ने जल,जंगल,जमीन और
सम्मान के लिए संघर्ष क्यों करना पड़ा?....A/c सरकार ने हमारे
लोगों को मरने के लिए क्यों मजबूर किया?......देश में हुवे अन्य
आदिवासी विद्रोहजवाब*एसी आदिवासी भारत सरकार को
जानना हो, समजना हो तो पहले एसी का मतलबक्या है?
**ज्यूडिशियल और नॉन ज्यूडिशियल का मतलब क्या है?**लिज
जानने के लिये, Land रेवेन्यू रुल,1921 क्या है?**Crown(ताज) क्या
है ? ऐसी सभी बाते जानना बहोत जरूरी है।*तो सबसे पहले AC
का मतलब बता देता हु।*AC-Ante Crist*Ante मतलब
पहला,अनाशकाल से इस धरती पर रहनेवाला आदिवासी, येशु
क्रिस्त की सदी से भी पहलेसे रहनेवाला। क्योकि आज येशु के
जन्म के हिसाब से कैलेंडरी दुनिया चल रही है,उस हिसाब से यह
बताया गया और प्रूव किया गया है।ज्यूडिशियल=जितनी भी
मानवनिर्मित बाते है ,धर्म है,कायदे कानून है,नियम है वो सब
ज्यूडिशियल है।नॉन ज्यूडिशियल=जो नियम कुदरती है,जिसे
मानव ने नही बनाया वो सब कुदरती तत्वों को नॉन
ज्यूडिशियल कहा जाता है।और एसी आदिवासी भारत सरकार
पूरी तरह से कुदरती रूलिंग से चलता है।अब एसी आदिवासी भारत
सरकार को जानते है।|| स्व कर्ता पितु की जय ||जब आदिवासी
समाज के ऐतिहासिक प्रणेता के नाम लिए जाये तो सब से
पहेला नाम ऐ/सी कुंवर केसरीसिंह का आता है । इनका नाम
इसलिए बहार नहीं लाया गया क्योंकि अगर आदिवासी अपनी
पहचान जान लेता है तो सभी बिन-आदिवासियो को लेने के देने
पड जाते । कौर्ट कचेरी हो, प्रेसिडेंट हो कलेक्टर हो या
पोलिस हो उनकी ऑफिस में गभराहट छा जाती हे।तो आप के
दिमाग में एक प्रश्न खड़ा हुआ होगा ऐ/सी कुंवर केसरीसिंग
भारत के आदिवासीयों के ऐतिहासिक प्रणेता कैसे । यहाँ हम
ऐ/सी कुंवर केसरीसिंह के बारी में जाने ।ऐ/सी कुंवर केसरी सिंह
का जन्म गाँव: कटास्वान, तहेसिल: व्यारा, जिल्ला: सूरत
(जिसे विभाजीत करके आज तापी नाम दिया है) राज्य:
गुजरात, इन्डिया-भारत में हुआ । उनके पिताजी का नाम
टेटिया कानजी गामित था ।वह बेरिस्टरन तक पढ़े। उनके
क्लासमेट में सयाजीराव गायक्वार्ड भी थे और उनका डॉ.बाबा
साहेब आंबेडकर, महात्मा गाँधी, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जैसे
लोगों से भी पत्र व्यवहारजब देश के लोग झूठी आजादी के पीछे
दौड़ लगा रखी थी उस वक्त उन्होंने सरकारी नौकरी ना करते
हुए लोगों को जागृत करने और अंग्रेज को यकीन दिलाने का
कार्य किया की भारत देश का असली वारिस कौन, मुलबीज
कौन ।भारत का मुलबीज कौन इस मुददे पर ऐ/सी कुंवर केसरीसिंह
ने 1930 से आदिवासियो को जागृत करने का कार्य शुरू किया
और इस सन्दर्भ में अंग्रेज के साथ उनका पत्र व्यवहार रहा ।जिसमें
अंग्रेज के ही बनाये 1857 के महारानी विक्टोरिया के
अनाउंसमेंट, लैंड रेवेन्यू रूल्स और ट्रेजरी उनके हथियार रहे । तब जा
कर 1931-35 की गोल मेजी परिषद् के पहेले लार्ड इरविन और
महात्मा गाँधी का करार हुआ जिसे हम गाँधी-इरविन पैक्ट्स
कहते है ।जिसमे सेक्शन 55 कोलम 36 a, b, c, d, e, f, g और h के
तहेत सारे भारत देश को "अखिल आदिवासी एक्सक्लूडेड
पार्शियल एरिया" कहा गया यानि आदिवासियों का देश
जिसमे कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता ।जब यह तय हो गया की
आदिवासी ही इस देश का मुलबिज है तो कही जाने वालीझूठी
आजादी के आन्दोलन में जुड़ने का कोई सवाल ही उत्पन्न नहीं
हुआ । उनहोंने आदिवासियों को मालिकतत्व का अहसास
दिलाया और देश एवं देह का महान अध्यात्मिक रूलिंग दुनिया के
समक्ष रखा ।कुंवर केश्री सिंग दादा ने खुद को 7-1-69 को
कोर्ट समक्ष मूल मिट्टी मूल बिज मूल वारिस साबित किया।
उसके बादकुंवर केसरीसिंह ने दुनिया के समक्ष खुद को इस भूमि
का मुलबिज, देश की मिटटी, मूल वारिस है यह साबित किया
अर्थात ताज का ओनर-मालिक साबित किया, Established
usage of the crown - Government of india -owner of india
साबित किया ।जिसको बंकीगहाम पैलेस, लंडन से दिनांक
07/01/1969 को धरी राष्ट्र 64 के 142 डेलीगेटस, कॉमनवेल्थ ने
विश्व प्रसिद्ध किया है । और उन सभी से वर्ल्ड नोरोटरी की
हे।विश्व के महान अध्यात्मिक कोड को दुनिया के समक्ष लाने
के लिए कॉमनवेल्थ द्वारा 30-4-69 को प्रसिद्धी हुई की ऐ/
सि कुंवर केसरी सिंह First Lord of The Treasury, covering all
parts of the world.उन्होंने साबित कर दिया की देह और देश
का व्यवहार समजने वाला ही सच्चा आदिवासी है । और इस देश
का हर एक आदिवासी भारत सरकार परिवार है । और सभी
आदिवासीओ को ऐ/सी भारत सरकार परिवार की पहचान
दिलवाई।ऐ/सी कुंवर केसरी सिंह के सती-पति के कुदरती व्यवहार
को सभी गैर-आदिवासिओ ने धर्म, मूवमेंट, आन्दोलन, संप्रदाय से
जोड़ने की कोशिश की पर यह तो अनाशकाल पूर्व से चला
आया कुदरती व्यवहार है ।आज तक जो भी लोग इस व्यव्हार को
समजे है उन्हों ने आज तक ना ही राशन कार्ड (ration card)
बनवाए और ना ही मतदार कार्ड (election card) बनवाए । इस
व्यवहार से जुड़े लोग किसी तरह का टैक्स (tax) नहीं भरते । उस
कोर्ट जजमेंट में सब उल्लेख हे।यह इसलिए की उन्हें ज्ञात हो गया
है की वोह इस देश के मालिक है, मालिक किसी के पास भीख
नहीं मांगता, ना ही मालिक के चुनाव होते है, ना ही मालिक
अपने ही देश में टैक्स भरता है । यह सब बहार से आई हुई प्रजा पर
लागु होता है ।ताज की विवेक युक्त बुद्धि - पावर्स : विश्व में
कोई भी ऐसा कोड नहींबना जो ताज के ओनर के विरुद्ध वर्ताव
कर सके ।A clause by clause analysis of the bill can be
obtained from the Information department, British High
Commission, Shantipath, Chanakyapuri, New Delhiइसलिए
आदिवासी अपने मालिकतत्त्व को पहेचाने ।शुभ भावना, शुभ
संदेश| | आप की जय | || | स्वकर्ता पितु की जय | || | हेवन्स लाईट
आवर गाईड | |भारत सरकार कुंटुंब परिवारअब लँड रेवेन्यू रुल,1921 से
99 साल की लिज को जानते है।लँड रेवेन्यू रुल,1921 के पेज नंबर 231
पे स्पष्ट लिखा है की"The Meaning of this fixed period is
that if at the bigining of the period in 1870 a lease is
granted for 99 years it runs till 1969,but if in 1900 a
second plot is given out under the same rule,it is granted
on lease also up to 1969 only.Even in 1950 the lease would
be granted only for 19 years".ऊपर दिये गये पेराग्राफ मे स्पष्ट
रूप से बताया गया है की 1870 मे दि गयी लिज सिर्फ 99 साल
के लिये रहेगी,और 1900 मे लिज का दूसरा प्लॉट भी दिया
जाता है तो भी लिज 1969 तक ही रहेगी।और 1950 मे भी लिज
दि जाती है तो भी सिर्फ 1969 तक ही रहेगी।मतलब 1870 की
99 साल की लिज 1969 मे हर हालत मे खत्म हो जाती है।जब
बाहरी विदेशी इमिग्रंट्स लोगो की लिज ही 1969 मे खत्म
होती है तो साथ मे उनका बनाया संविधान भी 1969 मे खत्म
हो जाता है।अब यह जानते है की भारत सरकार और केंद्र सरकार
क्या है।भारत सरकार देश का मालिक है और देश का हर
आदिवासी भारत सरकार परिवार है,मालिक है।तो केंद्र सरकार
नोकर है।इसीलिये केंद्र सरकार और राज्य सरकार के चपरासी से
लेके राष्ट्रपती तक के सभी नोकर लोग पगार लेते है और मालिक
को पगार के बदले सेवा देते है।सभी के सभी OIGS मतलब On
India Government Service मतलब भारत सरकार सेवार्थ है।
जिन्हें सबूत देखना हो वोBritish High Commission,Delhiया
ग्राम कटासावन,ता-व्यारा,जिल्हा तापी,गुजरात जाके देख
सकते है।जय आदिवासीआप की जयस्वकर्ता पितु की जयइंडिया
नॉन ज्यूडिशियलभारत सरकार
जोहार!! #ऐसे तो आदिवासी जन्म से मरने तक आदिवासी ही रहता है , पर एक साजिश के तहत संविधान सभा में अनुच्छेद 13 (5 )में उपस्थित लिखित #आदिवासी शब्द को यह कह कर हटा दिया गया, कि आदिवासी शब्द अछूत की तरह लगता है और आदिवासी को ही अनुसूचित जनजाति बना दिया गया .. उसके बाद लोकुर समिति ने जनजाति कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर अनुसूचित जनजाति होने के पांच विशेषताएं बना दी, ताकि किसी को भी अनुसूचित जनजाति बनाया जा सके और हटाया भी जा सके... #पर1932 से हुए जनगणना में आदिवासी को animist, ट्राइब, एबओरिजिन और अनुसूचित जनजाति कहा गया.. इससे यह साबित होता है कि आदिवासी ही अनुसूचित जनजाति(Indigenous people) है.. #लोकुर समिति ने जनजातीय कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर "अनुसूचित जनजाति," होने के पाँच विशेषताएँ रखीं हैं 1.) आदिम जनजातीय गुण- (यानि टोटेम व्यवस्था(सरनेम), पर देवी और कुमार लगवाकर दिकू इसे खत्म कर रहे हैं ..) 2.) आर्थिक पिछड़ापन- (जिसे मुख्यधारा में लाने की बात कहकर खत्म कर दिया जा रहा है) 3.) घुलने मिलने से कतराना- (बाहरी को बसा कर हम ये विशेषता छोड़ रहे हैं) 4.)भौगोलिक अलगाव- (पाँचवीं अनुसूची के नाम पर हमें अपना स्वशासन मिला है, जिसमें बाहरी प्रवेश वर्जित है, अनुच्छेद 19 (5), पर बाहरी को बसा कर हम आदिवासी समुदाय में रहते थे, वो खत्म होता जा रहा है.. ) 5.) अनूठी भाषा और संस्कृति- (हमारी अपनी भाषा और संस्कृति है जिसे हम बाहरियों की संस्कृति अपना कर छोड़ रहे हैं) #छत्तीसगढ़ के #बाहरिया जनजातिऔर झारखंड के #तमाड़िया जनजाति को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से बाहर निकालदिया गया, ( झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा तमाड़िया जन जाति से आते थे ) कि ये "हिंदू" रीति रिवाज को मानते हैं .. #CG के अजीत जोगी को भी जनजाति से निकाल दिया गया , क्यूँ कि उसके पूर्वज से ही आदिवासी, रीति रिवाज, परंपरा को छोड़ चुके हैं .. #हो सकता है कि इन सभी विशेषताओं के ना पाए जाने पर हमें भी अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से निकाल दिया जाएगा.. UNPFII (संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थायी मंच (आदिवासी मुद्दों के )vice Chairman Phoolman Chaudhary सर ने पिछले मई 2017 में संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यूयॉर्क में हुए बैठक में भारत के आदिवासी मुद्दों के बारे में बातें रखीं, जिनमें से कुछ आदिवासी मुद्दों पर बिल पास हो गया है.. 1.) संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य राज्यों को "#आदिवासी" शब्द मानना पड़ेगा.. 2.) आदिवासियों के मानव अधिकार का संयुक्त राष्ट्र का घोषणा पत्र( UNDRIP UNited declaration on rights of indigenous people) को मानना होगा.. 3.) ILO convention 169 (आदिवासियों का स्वशासन और आत्मनिर्णय) मानना होगा.. जबकि केन्द्र सरकार अभी ILO CONVENTION 107 यानी आदिवासी को मुख्यधारा में लाने की बात कहता है, पर 70 सालों में आदिवासी समुदाय की हालत वहीं है.. #नोट:- संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य राज्यों को आदिवासी शब्द मानने पर मजबूर करने के बाद UNDRIP में लिखें अधिकारों को मानने पर #केन्द्र_सरकार मजबूर होगा.. यदि #केन्द्र सरकार इन बातों को नहीं मानता है तो उसे इंटरनेशनल कोर्ट में घसीटा जा सकता है.. पर रीति रिवाज और परंपरा को ना मानने से International court भी हमें "आदिवासी " क्यूँ मानेगा.. To be continued..
जोहार!! #ऐसे तो आदिवासी जन्म से मरने तक आदिवासी ही रहता है , पर एक साजिश के तहत संविधान सभा में अनुच्छेद 13 (5 )में उपस्थित लिखित #आदिवासी शब्द को यह कह कर हटा दिया गया, कि आदिवासी शब्द अछूत की तरह लगता है और आदिवासी को ही अनुसूचित जनजाति बना दिया गया .. उसके बाद लोकुर समिति ने जनजाति कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर अनुसूचित जनजाति होने के पांच विशेषताएं बना दी, ताकि किसी को भी अनुसूचित जनजाति बनाया जा सके और हटाया भी जा सके... #पर1932 से हुए जनगणना में आदिवासी को animist, ट्राइब, एबओरिजिन और अनुसूचित जनजाति कहा गया.. इससे यह साबित होता है कि आदिवासी ही अनुसूचित जनजाति(Indigenous people) है.. #लोकुर समिति ने जनजातीय कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर "अनुसूचित जनजाति," होने के पाँच विशेषताएँ रखीं हैं 1.) आदिम जनजातीय गुण- (यानि टोटेम व्यवस्था(सरनेम), पर देवी और कुमार लगवाकर दिकू इसे खत्म कर रहे हैं ..) 2.) आर्थिक पिछड़ापन- (जिसे मुख्यधारा में लाने की बात कहकर खत्म कर दिया जा रहा है) 3.) घुलने मिलने से कतराना- (बाहरी को बसा कर हम ये विशेषता छोड़ रहे हैं) 4.)भौगोलिक अलगाव- (पाँचवीं अनुसूची के नाम पर हमें अपना स्वशासन मिला है, जिसमें बाहरी प्रवेश वर्जित है, अनुच्छेद 19 (5), पर बाहरी को बसा कर हम आदिवासी समुदाय में रहते थे, वो खत्म होता जा रहा है.. ) 5.) अनूठी भाषा और संस्कृति- (हमारी अपनी भाषा और संस्कृति है जिसे हम बाहरियों की संस्कृति अपना कर छोड़ रहे हैं) #छत्तीसगढ़ के #बाहरिया जनजातिऔर झारखंड के #तमाड़िया जनजाति को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से बाहर निकालदिया गया, ( झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा तमाड़िया जन जाति से आते थे ) कि ये "हिंदू" रीति रिवाज को मानते हैं .. #CG के अजीत जोगी को भी जनजाति से निकाल दिया गया , क्यूँ कि उसके पूर्वज से ही आदिवासी, रीति रिवाज, परंपरा को छोड़ चुके हैं .. #हो सकता है कि इन सभी विशेषताओं के ना पाए जाने पर हमें भी अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से निकाल दिया जाएगा.. UNPFII (संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थायी मंच (आदिवासी मुद्दों के )vice Chairman Phoolman Chaudhary सर ने पिछले मई 2017 में संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यूयॉर्क में हुए बैठक में भारत के आदिवासी मुद्दों के बारे में बातें रखीं, जिनमें से कुछ आदिवासी मुद्दों पर बिल पास हो गया है.. 1.) संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य राज्यों को "#आदिवासी" शब्द मानना पड़ेगा.. 2.) आदिवासियों के मानव अधिकार का संयुक्त राष्ट्र का घोषणा पत्र( UNDRIP UNited declaration on rights of indigenous people) को मानना होगा.. 3.) ILO convention 169 (आदिवासियों का स्वशासन और आत्मनिर्णय) मानना होगा.. जबकि केन्द्र सरकार अभी ILO CONVENTION 107 यानी आदिवासी को मुख्यधारा में लाने की बात कहता है, पर 70 सालों में आदिवासी समुदाय की हालत वहीं है.. #नोट:- संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य राज्यों को आदिवासी शब्द मानने पर मजबूर करने के बाद UNDRIP में लिखें अधिकारों को मानने पर #केन्द्र_सरकार मजबूर होगा.. यदि #केन्द्र सरकार इन बातों को नहीं मानता है तो उसे इंटरनेशनल कोर्ट में घसीटा जा सकता है.. पर रीति रिवाज और परंपरा को ना मानने से International court भी हमें "आदिवासी " क्यूँ मानेगा.. To be continued..
Dattu Laximan Gaykawad
ReplyDeleteAapki Jay
ReplyDeleteJohar
Jay aadivasi
जय आदिवासी
ReplyDeleteजय जोहार
jay johar
ReplyDeleteJay mulnivasi
ReplyDeleteJay aadivasi
Jay johar
ReplyDeleteJay mulanivasi jay aadivasi
ReplyDeleteBhai ye wahi Bharat hogana jis me 565 rajwade fir se khade honge or lakho log begar ho jayenge
ReplyDeleteBhai agar rajwade khade ho jayege to itihas bhi padhlo.maharana pratap jisse help lene gaye the wo PUNJA BHIL ek aadivasi tha. 1 aadivasi 100 barabar he
DeleteApki jay
ReplyDeleteSagar Pimple
ReplyDelete9767511315
जय आदिवासी
ReplyDeleteजय एकलव्य
🙏🙏🙏🙏
भिल्ल समाज
" वर्ड नोरोटरी" का स्पष्ट मतलब बताये ं महोदय
ReplyDeletejay adiwasi
ReplyDeleteSir Sabka PDF meliga ky
ReplyDeleteGandhi Irwin pact Aur land revenue rule Aur Bombay treasury rule
!!!!!!!!!!!!!!Sow karta pitu ki jay!!!
ReplyDeleteLucky Club Casino Sites and Offers
ReplyDeleteLucky Club is the latest online luckyclub casino site that offers a great selection of exciting live games in different formats, but we also have some other games that give you the